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क्या हुआ जब एक भक्त ने चुपके से निधिवन में एक रात बिताई निधिवन की सच्ची कहानी

नमस्कार दोस्तों जय श्री राधे आज के इस पोस्ट में हम आपको एक ऐसी निधिवन की सच्ची कहानी और कुछ ऐसे भक्तों की सच्ची घटना के बारे में बताएंगे जो कि निधिवन में भगवान श्री कृष्ण का रास देख चुका है और अब उसके साथ आगे क्या हुआ उसके बारे में हम आपको बताएंगे क्या उसने भगवान श्री कृष्ण का रास देखा है जानने के लिए पूरे पोस्ट को जरूर पढ़ें

क्या हुआ जब एक भक्त ने चुपके से निधिवन में एक रात बिताई निधिवन की सच्ची कहानी

दोस्तों एक बार कोलकाता का एक भगत अपने गुरु की सुनाई हुई भागवत कथा से इतना प्रभावित हुआ कि वह हर समय वृंदावन आने के बारे में सोचने लगा उसके गुरु उसे निधिवन की सच्ची कहानी के बारे में बताया करते थे और कहते थे कि आज भी भगवान श्री कृष्ण रात्रि को रास रचाने आते हैं 

यह सब सुनकर उस भगत को इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा था खैर उस भगत ने एक दिन निश्चय किया कि वृंदावन जाऊंगा और ऐसा ही हुआ श्री राधा रानी की कृपा हुई और आ गया वृंदावन और उसने जी भर कर बिहारी जी और राधा रानी का दर्शन किया और अब भी उसकी इच्छा निधिवन की सच्ची कहानी के बारे मे जानना और निधिवन में रात्रि को भगवान रास रचाते हैं उसे देखने की थी 

उसने सोचा कि 1 दिन निधिवन रुक कर देखता हूं शयद मुझे निधिवन की सच्ची कहानी के बारे मे कुछ पता चल जाए इसलिए वह वहीं पर रुक गया और देर तक बैठा रहा है और शाम जब होने को आई तब एक पेड़ की लता की आड़ में छिप गया जब शाम के वक्त वहां के पुजारी निधिवन को खाली करवाने लगे तो उनकी नजर उस भगत पर पड़ गई और उसे वहां से जाने को कहा पुजारी के कहने पर वह भक्त वहां से चला गया 

लेकिन उस भगत के मन में उथल-पुथल चल रही थी वह तो रासबिहारी की रासलीला देखने के लिए लालायित था और उसके मन मे अपने गुरु की बात का पता लगाना था की निधिवन की सच्ची कहानी सच है या नहीं अगले दिन वह फिर से वहां जाकर छिप गया और फिर से शाम होते ही पुजारी द्वारा निकाल दिया गया ऐसा करते-करते आखिर एक दिन उसने निधिवन में एक ऐसा कोना खोज निकाला जहां उसे कोई ना ढूंढ सके और वह निधिवन की सच्ची कहानी के बारे मे जान सके वह भगत आंखें मूंद सारी रात वहीं निधिवन में बैठा रहा और अगले दिन जब सेविका निधिवन में साफ सफाई करने आई तो पाया कि एक व्यक्ति बेसुद पड़ा हुआ है और उसके मुंह से झाग निकल रहा है

तब उन सेविकाओं ने सभी को बताया तो लोगों की भीड़ जमा हो गई सभी ने उस व्यक्ति से बात करने की कोशिश की लेकिन वह कुछ भी नहीं बोल पा रहा था लोगों ने उसे खाने के लिए मिठाई दी लेकिन उसने नहीं ली और ऐसे ही वो 3 दिन तक बिना कुछ खाए पीए बेसुध पड़ा रहा और 5 दिन बाद जब उसके गुरु जी को जो गोवर्धन में रहते थे उनको बताया गया तब उनके गुरु जी वहां पहुंचे और उसे गोवर्धन अपने आश्रम में ले आए 

आश्रम में भी वह ऐसे ही रहा और एक दिन सुबह-सुबह उस व्यक्ति ने अपने गुरु जी की ओर इशारा करके लिखने के लिए कलम और कागज मांगा गुरुजी ने ऐसा ही किया और उसे वह कलम और कागज दे कर गंगा में स्नान करने के लिए चले गए वापस आए तो पाया कि उसने दीवार के सहारे अपना शरीर त्याग दिया था और जो कलम और कागज उसको लिखने के लिए दिया था उस पर कुछ लिखा हुआ था 

अब आप ध्यान से सुनिए उस पर क्या लिखा हुआ था उस पर लिखा हुआ था कि गुरु जी मैंने यह बात किसी को नहीं बताई है पहले सिर्फ आपको ही बताना चाहता हूं आप कहते थे ना कि निधिवन में आज भी भगवान रास रचाने आते हैं और मैं आपकी बात कही जो थी उस पर यकीन नहीं करता था लेकिन जब मैं निधिवन में रुका तब मैंने बांके बिहारी जी का राधा रानी के साथ और गोपियों के साथ रास करते हुए दर्शन किया और अब मेरी जीने की कोई भी इच्छा नहीं है 

इस जीवन का जो लक्ष्य था वह लक्ष्य मेने प्राप्त कर लिया है और अब जीवन जीकर क्या करूंगा श्याम सुंदर की सुंदरता के आगे दुनिया वालों की सुंदरता कुछ भी नहीं है इसलिए आपके श्री चरणों में मेरा अंतिम प्रणाम स्वीकार कीजिए और वह प्रणाम करके उन्होंने अपना देह त्याग कर दिया और वह पत्र जो है 

उसने अपने गुरु जी के लिए लिखा था आज भी मथुरा के सरकारी संग्रहालय में रखा हुआ जो कि बंगाली भाषा में लिखा हुआ था कहा जाता है कि निधिवन की लताएं गोपीयां है जो एक दूसरे की बांहों में बांहें डाली है रात में राधा रानी जी बिहारी जी के साथ रासलीला करती है यही थी निधिवन की सच्ची कहानी

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