थे तो अरोगोजी मदन गोपाल,
कटोरो ल्याई दूध को भर्यो ।। टेर ।।
दूदाजी म्हाने दी भोलावण,
जद मैं आई चाल ॥
धोली धेनु को दूध गरम कर ल्याई मिसरी घाल ॥
क्यांन रूस्या हो थे नंदजी का लाल ॥ १ ॥
किण विध रूठ रह्या हो लाला,
कारण कहो महाराज।
दूध कटोरो धर्यो सामने पीवन की काँई लाज ॥
भूखाँ मरताँ रा चिप जासी थारौँ गाल ॥ २ ॥
श्याम सलोने दूध अरोगो,
साँची बात बताऊँ ।
बिना पियाँ यो दूध कटोरो,
पाछी मैं नहीं जाऊँ ॥
देऊँ साँवरिया चरणाँ में देही डाल ॥ ३ ॥
करुणा सुनकर डरिया प्रभुजी,
मन्द मन्द मुसकात ।
गट-गट दूध पीवण ने लाग्या,
चार भुजा रा नाथ ॥
साँवरो राखे है भगताँरी जाती लाज ॥ ४ ॥
मीरा नृत्य करे प्रभु आगे,
हरख्यो सारो साथ ।
भक्ताँ के बस में गिरधारी,
चार भुजा रो नाथ प्यारो लागेजी वो गिरधारी लाल ॥ ५ ॥