कलेवो करतो ही मुलके
म्हारो मदन मोहन घनश्याम,
कलेवो करतो ही मुलके श्याम सुन्दर नन्दलाल,
कलेवो करतो ही मुलके ॥ टेर ॥
दुध बताशा म्हारो श्याम,
पीवे है बालो गट गट के ॥ १ ॥
माखण मिसरी रो भोग,
रोटी तो यांके गले अटके ॥ २ ॥
मुख माही दंतुली सी दोय,
नासा पर मणि मोती चिलके ॥ ३ ॥
मोर मुकुट गल माल,
कुण्डल कानां माही भलके ॥ ४ ॥
ठुमक ठुमक ज्यांरी चाल,
मनड़ों तो लीन्हों वश करके ॥ ५ ॥
हाथों में छड़ी है गुलाब,
छटा तो चहुं दिसि छिटके ॥ ६ ॥
बन्शी की मीठी मीठी तान,
सुनत म्हारों हीयो धड़के ॥ ७ ॥
मुरली की मधुरी सी तान सुनत म्हारो हीयो धड़के ॥ ८ ॥
सुन्दर श्याम शरीर पिताम्बर ज्यांके अंग झलके ॥ ९ ॥
नटखट जसोदारो लाल,
निरख्या हीम्हारो जियो अटके ॥ १० ॥
मन्द मन्द मुसकाय,
बतलावे म्हानें हंस हंस के ॥ ११ ॥