नमस्कार मित्रों जय श्री राम आज के इस पोस्ट में हम आपको रामायण के एक प्रमुख किरदार और रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि की मृत्यु कैसे हुई इसके बारे में इस कथा की जानकारी देंगे मित्रों अगर आप ऐसी ही कथाएं कहानियां चालीसा पढ़ना चाहते हैं तो हमारे वेबसाइट पर विजिट करते रहे
मित्रों आप यह तो जानते होंगे कि रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी और उन्होंने रामायण की रचना संस्कृत में की थी रामायण एक महाकाव्य ही नहीं यह एक जीवन जीने की कला है जिसमें हमें यह बताया गया है कि कैसे एक कर्तव्यनिष्ठ महान जीवन जिया जाए
रामायण में जीवन जीने के सभी पहलुओं को विशेष तौर पर कथा के रूप में बताया गया है जिसमें हमें आदर्श पुरुष श्री राम उनके सभी छोटे बड़े भाइयों उनके पिता उनकी माता आदि सभी के बारे में विस्तृत रूप में बताया गया है
दोस्तों रामायण महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत में लिखी थी और 24000 श्लोकों को रामायण में संकलित किया गया है दोस्तों कथाओं में कहा जाता है कि महर्षि वाल्मीकि ने एक विशेष घटना के बाद रामायण की रचना की थी जो कि इस प्रकार है
एक बार नदी के किनारे महर्षि वाल्मीकि बैठे थे तभी एक बहेलिया ने नदी में स्नान कर रहे एक हंसों के जोड़े में से नर हंस को मार दिया था यह देखकर जब मादा हंस चिल्लाने लगी तब महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत के 1 श्लोक में यह कहा था कि हे बहेलिया जैसा तुमने इस नर हंस के साथ किया है वैसा ही तेरे साथ होगा इस घटना के बाद महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की थी
महर्षि वाल्मीकि की जीवन तथा मृत्यु की कथा
मित्रों महर्षि वाल्मीकि का वर्णन हमें सतयुग द्वापरयुग तथा त्रेतायुग तीनों युगों में हमारे शास्त्रों में मिलता है दोस्तों द्वापर युग में जब कृष्ण के समय पांडव कौरवों से युद्ध जीत जाते हैं तब कौरवों की पत्नी द्रोपती एक यज्ञ रखती है जिस यज्ञ में शंख का बजना जरूरी था अन्यथा यह यज्ञ संपन्न नहीं हो सकता था
परंतु सभी पांडवों तथा कृष्ण के प्रयत्न करने पर भी शंख नहीं बज पा रहा था तब पांडवों के अनेक प्रयत्न करने के बाद में भगवान श्री कृष्ण ने पांडवों को यह कहा कि तुम महर्षि वाल्मीकि से प्रार्थना करो जिससे कि तुम्हारा यह शंख बजने लगेगा तब सभी पांडव महर्षि वाल्मीकि से प्रार्थना करते हैं और उसके बाद में महर्षि वाल्मीकि प्रकट होते हैं तब वह शंख अपने आप ही बजने लगता है ।
दोस्तों अब अगर महर्षि वाल्मीकि की मृत्यु कब हुई की बात की जाए तो कोई प्रमाणिक ग्रंथों के द्वारा महर्षि वाल्मीकि की मृत्यु कब हुई घटना का कोई विचार निकलकर नहीं आ रहा है परंतु विद्वानों का कहा माने तो महर्षि वाल्मीकि अभी भी जिंदा है और वह इस मृत्युलोक में कल्कि अवतार का प्रतीक्षा कर रहे हैं।
और मित्रों कुछ विद्वानों का तो यह भी मानना है कि जब द्वापरयुग में कृष्ण की सभी लीलाएं समाप्त हुई थी तब महर्षि वाल्मीकि ने भी आखिरी में जल समाधि लेकर परमधाम चले गए थे।
मित्रों आशा करता हूं कि आपको आज की यह कथा पसंद आई होगी इस कथा में हमने आपको यह बताया है कि महर्षि वाल्मीकि की मृत्यु कैसे हुई अगर आपका इस कथा के लिए कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट में जरूर पूछ सकते हैं और अगर आप किसी अन्य कथा पर हमारे विचार जानना चाहते हैं तो वह भी आप हमें पूछ सकते हैं आपके प्रश्न का हमें प्रतीक्षा रहेगी।