नमस्कार प्रिय भक्तों श्री राधे आज के इस पोस्ट में हम आपको भक्तवत्सल भगवान की एक ऐसी सत्य घटना के बारे में बताएंगे जिसमें भगवान बांके बिहारी कैसे अपने असहाय भक्त की मदद करते हैं तो दोस्तों इस पूरी कथा को जानने के लिए आपको इस पोस्ट को आखिर तक पढ़ना होगा जय श्री राधे
भक्तों जो आज हम आपको प्रसंग बताने जा रहे हैं वह 10 वर्ष पुराना है यह एक ऐसा प्रसंग है जिसे सुनकर आपकी मन में परमात्मा के प्रति भक्तिभाव और अधिक बढ़ जाएगा एक भक्त ने इस प्रसंग को लिखते हुए कहा है यह मेरे जीवन का ऐसा अलौकिक प्रसंग है जब भी मैं इसे स्मरण करता हूं तब परमात्मा की कृपा को याद कर मेरी आंखों में आंसू आ जाते हैं
10 वर्ष पूर्व की यह घटना है मेरी माता जी की टीचर ट्रेनिंग वृंदावन के एक स्कूल में चल रही थी मेरी मकर सक्रांति की छुट्टियां हो चुकी थी मैंने वृंदावन जाने की योजना बनाई और मैं अपने गांव तोरई से बस द्वारा झांसी पहुंचा
झांसी से ट्रेन लेकर में ट्रेन के माध्यम से मथुरा पहुंचा जब मैंने मथुरा में पैर रखा उस समय रात्रि के 10:00 बज चुके थे जाड़े का समय था अर्थात सर्दी का समय चल रहा था और ठंड अपने चरम पर थी मेरे पास थोड़ा बहुत सामान था और उस समान के अलावा उढने के लिए मेरे पास एक कंबल शेष था पर उस कमल के माध्यम से उस जाड़े की ठंड को रोकना सरल नहीं था
मैं विचार करने लगा इस रात्रि के समय मैं वृंदावन कैसे पहुंच सकूंगा मन में बहुत सारे ख्याल आ रहे थे कोई सवारी नहीं दिख रही थी अब क्या करूं मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था ठंड की वजह से प्लेटफार्म पर रुकना भी सरल नहीं था तभी एक तांगेवाला सवारी ढूंढते हुए आवाज देकर कहने लगा किसी को वृंदावन जाना है
तब उसकी आवाज सुनकर मैंने यह महसूस किया लगता है परमात्मा ने किसी को यहां भेजा है मैंने उसे आवाज देकर कहा मुझे चलना है रंग महल के पहले एक अग्रवाल धर्मशाला है आप मुझे वहां तक पहुंचा दीजिए मेरी मां वहां किराए के कमरे में रहती है तांगे वाले ने मुझे अपनी गाड़ी पर बैठा दिया मुझे और मुझे अग्रवाल धर्मशाला के पास छोड़कर आगे चला गया
वहां पहुंच कर मुझे अपनी माता जी का कमरा तो ध्यान नहीं था मैं तो पहली बार ही आया था अब घरों की ओर देखकर मैं हैरान हो गया सारे घर बंद थे क्योंकि रात्रि का समय था और वहा पर बहुत अंधेरा छाया हुआ था और ठंड की अवस्था भी चरम पर थी आप सोच सकते हैं उत्तर प्रदेश में जो शीतलहर चलती है वह कितनी भयानक होती है और रात्रि के समय इस प्रकार बिना घर के घूमना तो और भी कठिन हो जाता है
क्योंकि सब लोग रात्रि के समय अपने घरों में विश्राम कर रहे थे और ऐसी अंधेरी रात में अपनी माताजी का कक्ष ढूंढना मेरे लिए भी कठिन हो रहा था मैं दो तीन घरों के नजदीक गया उनके दरवाजे खटखटाया पर मेरी माताजी के कमरे का मुझे पता नहीं मिला मुझे तो माताजी ने धर्मशाला के पास ही कमरा बताया था
अब वहां कमरा नहीं मिलने के कारण मेरा मन चिंतित होने लगा तभी मेरे मन में ख्याल आया वृंदावन में श्री बांके बिहारी जी रहते हैं वह तो हर असहाय और जरूरतमंद की मदद करते है तब मैंने उन्हें याद किया थोड़ी देर में एक अद्भुत चमत्कार घटित हुआ जिसे याद कर मेरा मन अभी भी रोमांचित हो जाता है और वह दृश्य देखकर उस समय मेरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गए थे यह इतना अद्भुत और अलौकिक चमत्कार था जिसका वर्णन मैं आपसे करने जा रहा हूं
उस समय जब मेरा मन बड़ा व्यतीत था तब मैं घरों के नजदीक जाकर दरवाजे खटखटा रहा था तभी एक स्थान पर रुक कर मैंने श्री बांके बिहारी जी का चिंतन कर उन्हें प्रार्थना करते हुए कहा बिहारी जी आइए अब मुझे अपनी मां से मिलाइए तभी उस अंधेरी रात में एक 8 वर्षीय बालक जो चेतन देव मंदिर के पीछे से निकला उसने हाफ पेंट पहन रखी थी
वह मुझे देखकर पूछने लगा क्या हुआ इतनी ठंड में क्यों भटक रहे हो किस से मिलना है उस बालक की आवाज सुनकर मैं सन्न हो गया मैंने उससे कहा मैं गांव से आया हूं मेरी मां की यहां टीचर ट्रेनिग चल रही है उसने यहां पर एक कमरा किराए पर ले रखा है मैं उसे ढूंढ रहा हूं मिल नहीं रहा है
तब उसने दरवाजे की तरफ इशारा करते हुए कहा इस दरवाजे को खटखटा यही रहती है तुम्हारी मां जैसे ही मैंने दरवाजा खटखटाया अंदर से दरवाजा खुलने की आवाज आई में पीछे मुड़कर उस बालक को धन्यवाद दे पाता तब तक वह बालक वहां से गायब हो चुका था
मैं बड़ा भयभीत होने लगा इस काली रात्रि में कौन था वह बालक जो मुझे सही घर का पता देकर गया और फिर दरवाजे के अंदर से मेरी मां ने मुझे देखकर गले लगा लीया वह मुझे अपने कक्ष के अंदर लाई मेने अपनी माताजी को सारी बात बताते हुए कहा मां आज तो बड़ा आश्चर्य हो गया मैं तुम्हारा घर ढूंढ ढूंढ के परेशान हो गया पर तुम्हारा कमरा मुझे नहीं मिला इतना अंधेरा होने लगा और तुम कहां रहती हो यह भी मेरे को नहीं पता था तभी मैंने मन ही मन श्री बांके बिहारी जी को प्रार्थना कि मुझे मार्ग दिखाइए
तभी अचानक से 8 वर्षीय बालक पता नहीं कहां से प्रकट हुआ और तुम्हारे घर का रास्ता बता कर यहां से चला गया जब तक मैं उसे कुछ कह पाता पता नहीं वह कहां गायब हो गया तब मेरी सारी बात सुनकर मेरी मां ने मेरे मस्तक पर हाथ रखते हुए कहा तुम बड़े भाग्यशाली हो आज स्वयं बांके बिहारी तुम्हें मार्ग दिखा कर गए हैं
जो सच्चे भाव से यहां आकर उनको प्रार्थना करता है वह उसको मार्ग स्वयं दिखा कर जाते हैं आज उन्होंने अपनी यह बात निश्चित पक्की कर दी कि जो एक बार मुझे सच्चे हृदय से पुकारेगा मैं उसकी सारी दुविधाएं दूर कर दूंगा गीता में श्री कृष्ण ने कहा है कि अर्जुन जो सच्चे भाव से मुझे पुकारता है मैं स्वयं प्रकट होकर उसके मार्ग का अवलोकन करता हूं उसे मार्ग दिखाता हूं भवसागर से पार लगा देता हूं तो पुत्र वह परमात्मा स्वयं आकर तुम्हें मेरे कक्ष का मार्ग दिखा कर गए हैं
यह बात आज भी जब मेरे स्मरण में आती है मेरी आंखों में आंसू आ जाते हैं कि परमात्मा मेरे नजदीक था पर मैं उसे पहचान न सका लेकिन आज जब भी मेरा वृंदावन जाना होता है मैं उसी स्थान पर अवश्य जाता हूं जहां मुझे श्री बांके बिहारी जी ने दर्शन दिए थे उसी स्थान की मिट्टी को उठाकर मैं अपने मस्तक पर लगाता हूं अपने आप को बड़ा सौभाग्यशाली मानता हूं कि परमात्मा स्वयं प्रकट होकर मुझे मार्ग दिखाने आए थे
तो अपने भक्तों के लिए स्वयं परमात्मा किसी ना किसी रूप में किसी ना किसी स्थान पर प्रकट हो जाते है यह होता तब है जब मन का विश्वास पक्का जब हमारे मन की लगन परमात्मा के प्रति दृढ़ हो तब वह परमात्मा किसी ना किसी रूप में आकर हमारी स्वयं रक्षा करता है
तो ऐसे भक्त वत्सल भगवान जो प्रत्येक स्थान पर अपने भक्तों की लाज बचाते हैं ऐसे भक्त वत्सल भगवान की पावन श्री चरणों में हमारा बारंबार प्रणाम है प्रणाम है प्रणाम है
प्रिय भक्तों आशा करता हूं आपको श्री बांके बिहारी जी की आज की यह लीला पसंद आई होगी भक्तों अगर आपको ऐसी ही सत्य आधारित पटना जाननी है तो आप हमारे वेबसाइट laddu Gopal Store पर विजिट करते रहे और ज्यादा से ज्यादा इस पोस्ट को शेयर करें
जय श्री राधे 🙏🙏