हे गिरधर गोपाल लाल तू आजा म्हारे आंगना,
माखन मिसरी तने खिलाऊँ, और झूलाऊँ पालना ॥ टेर ||
गंगाजल से कलश भरा है,
दतवन शीशा कंघा है,
वस्त्र पहनाऊँ रंग रंगीला,
दुपट्टा भी पचरंगा है,
खेलन में मैं देऊँ खिलौना,
खेलो ना मन चावना माखन मिसरी तने॥
कंचन बरणो थाल सजायो,
खीर चूरमा बाटकी,
दूध मलाई मटकी भरी है,
आजा जीमले डाट की तेरी ही इच्छा के माफिक,
भावे सो ही खावना ॥ टेर ॥
मधुर मधुर तने गीत सुनाऊँ,
मनभावन ये झाँकी है,
आना ही है आज साँवरिया,
भगत सेवा में हाजिर है मुरली की आ तान सुनाजा लागे बहुत सुहावना ॥ टेर ॥
धन्ना जाट ने तूझे पुकारा,
रूखा सूखा खाया तू करमाबाई ल्याई खीचडो,
रूच रूच भोग लगाया तू सांवरिया है प्रेम का भूखा,
भक्तों का मान बढावना ॥ टेर ॥
माखन मिसरी तने.. ॥